| 1. | ऊष्मा की मात्रा धारामान के वर्ग की समानुपाती होती है।
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| 2. | पूर्ण ऊष्मा की मात्रा निम्नलिखित समीकरण से प्राप्त होती है:
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| 3. | पूर्ण ऊष्मा की मात्रा निम्नलिखित समीकरण से प्राप्त होती है:
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| 4. | निसृत ऊष्मा की मात्रा विकिरकों के आकार तथा उनके खुले परिमाण पर निर्भर होती है।
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| 5. | निसृत ऊष्मा की मात्रा विकिरकों के आकार तथा उनके खुले परिमाण पर निर्भर होती है।
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| 6. | इन सौर कलंकों के बनने से सूर्य से निकलने वाली ऊष्मा की मात्रा बढ जाती है।
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| 7. | इन सौर कलंकों के बनने से सूर्य से निकलने वाली ऊष्मा की मात्रा बढ जाती है।
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| 8. | यह ताँबे का बना होता है और ऊष्मा की मात्रा ज्ञात करने के काम में आता है।
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| 9. | जब सौर कलंकों की संख्या में वृद्धि हो जाती है, तो सूर्य से निकलने वाली ऊष्मा की मात्रा भी बढ जाती है।
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| 10. | बिलकुल वैसे ही जैसे ९९ डिग्री तापमान के पानी और १ ०० डिग्री तापमान की भाप में निहित ऊष्मा की मात्रा बिलकुल भिन्न होती है।
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